पंजाब भ्रष्ट अधिकारीयों नहीं अब ख़ैर, तीन माह में शुरू हुई जांच, रोक नहीं पाएंगे चेहते अधिकारी

-- पंजाब के भ्रष्ट अधिकारियों पर 3 माह में मुकदमा चलाने की देनी पड़ेगी अनुमति
-- हाई और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया गया हवाला,
-- अनुमति नहीं मिलने से पंजाब विजिलेंस के दर्जनों मामले है लंबित
दी स्टेट हैडलाइंस
चंडीगढ़, 17 अप्रैल।
पंजाब सरकार से मोटी तनख्वाह मिलने के बावजूद भ्रष्टाचार में करोड़ों रुपए की संपत्ति बनाने वाले विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी की अब ख़ैर नहीं हैं, क्योंकि पहले की तरह उनके प्रभाव से उनके खिलाफ शिकायत पर जांच में देरी नही हो पायेगी बल्कि तीन महीने में ही भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ जांच की अनुमति देनी होगी l ऐसा नहीं करने वाले विभिन्न विभागों के आला अधिकारियों के खिलाफ पंजाब विजिलेंस सख्त कार्रवाई करने जा रही है।
इसलिए विजिलेंस विभाग ने पंजाब भर के सभी सरकारी विभागों के प्रमुखों को पत्र जारी कर आदेश दिया है कि किसी भी हालत में उनके विभागीय अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ जांच की मांगी गई अनुमति को रोका नहीं जाए l इसके साथ ही विजिलेंस विभाग ने अपने पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ उच्च न्यायालय के आदेशों को भी लगाया है, जिसमें भ्रष्टाचार के मामले में 3 माह के भीतर जांच की अनुमति देना आवश्यक बताया गया हैl
अधिकारियों के भ्रष्टाचार की आती रही हैं शिकायतें
जानकारी के मुताबिक पंजाब विजिलेंस विभाग में पटवारी से लेकर उच्चाधिकारी और पीसीएस अधिकारी से आईएएस तक अधिकारियों के भ्रष्टाचार की शिकायतें आती रही हैं। पंजाब विजिलेंस को राजनीतिक नेताओं या आम व्यक्ति के खिलाफ शिकायत की जांच के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन अगर पंजाब सरकार में अलग अलग पद पर कार्यरत अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की कोई शिकायत प्राप्त होती है तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत पंजाब विजिलेंस के लिए उस कर्मचारी के संबंधित विभागीय प्रमुख से अनुमति लेना आवश्यक है। ऐसे में पंजाब विजिलेंस की ओर से भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ जांच की अनुमति लेने के लिए पत्र भेजा जाता है, लेकिन संबंधित विभाग द्वारा कई महीनों या एक साल तक भी अनुमति नहीं दी जा रही है l जिस से विजिलेंस के पास पहुंची शिकायत के अनुसार कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
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पंजाब विजीलैंस के अधीन सचिव ने सभी विभागों के प्रमुखों को जारी किया पत्र
अब इस मामले में पंजाब विजीलैंस के अधीन सचिव ने सभी विभागों के प्रमुखों को पत्र जारी कर कहा है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के मद्देनजर भ्रष्टाचार के मामले में जांच की अनुमति दी जाए l 3 महीने के भीतर भीतर इन आदेशों को दिया जाना जरूरी है । ऐसे मामले में कानूनी सलाह लेकर सिर्फ 1 महीने का एक्सटेंशन लिया जा सकता है लेकिन अनुमति को 4 महीने से ज्यादा के लिए रोका नहीं जा सकता है। पंजाब विजिलेंस के इस पत्र के जारी होने के बाद उन अधिकारियों की खैर नहीं है, जिन्होंने अपने प्रभाव से उच्चाधिकारियों से जांच की अनुमति नहीं लेने दी l
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