Land Pooling Policy : पंजाब कैबिनेट द्वारा लैंड पूलिंग नीति 2025 में संशोधनों को मंजूरी

चंडीगढ़, 22 जुलाई
Punjab CM Bhagwant Singh Mann की अध्यक्षता में Punjab Cabinet ने मंगलवार को एक अहम फैसला लेते हुए Land Pooling Policy 2025 में कई किसान-हितैषी संशोधनों को हरी झंडी दे दी है। इन संशोधनों का सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि अब Land Pooling में शामिल होने वाले किसानों को ज़मीन विकसित होने तक उनके गुजारे के लिए सरकार सालाना 1 लाख रुपये देगी, जो पिछली सरकारों द्वारा दी जाने वाली 20,000 रुपये की राशि से सीधे पांच गुना अधिक है।
सरकार ने किसानों को भविष्य की सुरक्षा का आश्वासन देते हुए इस 1 लाख रुपये की राशि पर हर साल 10% की बढ़ोत्तरी करने का भी ऐलान किया है। प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाते हुए अब 21 दिनों के भीतर ही किसानों को लेटर ऑफ इंटेंट (लेटर ऑफ इंटेंट) मिल जाएगा। किसान की सहूलियत के लिए सरकार ने प्रावधान किया है कि लेटर ऑफ इंटेंट को बेचा भी जा सकता है और इस पर लोन भी लिया जा सकता है। साथ ही, जब तक प्रोजेक्ट का काम शुरू नहीं होता, किसान अपनी ज़मीन पर खेती कर आय अर्जित कर सकेंगे और उन्हें सरकार से 50,000 रुपये की अतिरिक्त वार्षिक मदद भी मिलेगी।
पूरी प्रक्रिया के दौरान ज़मीन की खरीद-बिक्री पर कोई रोक नहीं लगेगी और किसान जब चाहे ज़मीन की ख़रीद बेच और रजिस्ट्री करवा सकता है।
बता दें कि पंजाब शहरी योजना एवं विकास प्राधिकरण (पुडा ) द्वारा भूमि अधिग्रहण को और अधिक सुचारू बनाने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट ने आज लैंड पूलिंग नीति 2025 में संशोधनों को मंजूरी दे दी।
इस संबंधी फैसला आज यहां मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उनके आधिकारिक निवास पर हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।
इस बारे में विवरण देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार की लैंड पूलिंग योजना में किसी किसान से धक्का नहीं किया जाएगा। पहली बार सरकार ऐसी योजना लाई है जिसमें कोई अधिग्रहण नहीं होगा बल्कि किसान की मर्ज़ी होगी कि वो ज़मीन देकर पंजाब के विकास में भागीदार बनना चाहता है या नहीं?
किसानों से मिले फ़ीडबैक के आधार पर इन संशोधनों का उद्देश्य आवास निर्माण और शहरी विकास विभाग की प्रक्रिया को और अधिक कार्यकुशल, प्रभावशाली और आकर्षक बनाना है। पंजाब सरकार ने इससे पहले भूमि मालिकों, प्रमोटरों और कंपनियों को शहरी विकास में भागीदार बनाने और लैंड पूलिंग में शामिल होने के लिए प्रेरित करने हेतु लैंड पूलिंग नीति 2025 बनाई थी। इस नीति के बारे में फीडबैक एकत्र करने के लिए राज्य सरकार ने विभिन्न गांवों के सरपंचों, विभिन्न यूनियनों के प्रतिनिधियों और किसानों के साथ कई बैठकें की थीं।
इन बैठकों में मिले सुझावों के आधार पर नीति में संशोधन किए गए हैं ताकि इस नीति को और अधिक उन्नत, तार्किक और विकासोन्मुख बनाया जा सके। इस संशोधित नीति के तहत भूमि मालिकों को अब एक कनाल अधिग्रहित की गई भूमि के बदले 125 वर्ग गज का प्लॉट और 25 गज व्यावसायिक भूमि मिलेगी। इसके अलावा विभाग द्वारा लेटर ऑफ इंटेंट (एल.ओ.आई.) जारी किया जाएगा, जिससे भूमि मालिक बैंकों से ऋण लेने के योग्य बन सकेंगे।
इसके अलावा एल.ओ.आई. जारी करने पर विभाग द्वारा भूमि मालिकों को गुजारा भत्ते के रूप में एकमुश्त 50 हजार रुपए दिए जाएंगे। कब्जा लेने के बाद भूमि मालिकों को सालाना एक लाख रुपए मिलेंगे। इस सालाना राशि में हर वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जो अधिग्रहित की गई भूमि का कब्जा लेने से शुरू होगी और संबंधित पक्षों को विकसित किए गए प्लॉट सौंपने तक जारी रहेगी।
यह भी फैसला हुआ कि 50 एकड़ या उससे अधिक भूमि की लैंड पूलिंग के मामलों में एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्जेज़ (ई.डी.सी.) के अलावा कोई और खर्च नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा भूमि मालिकों को व्यावसायिक जगह न लेने की स्थिति में बदले में व्यावसायिक जगह से तीन गुना अधिक आवासीय स्थान मिलेगा। यानि एक एकड़ ज़मीन देने वाले किसान को अगर 200 गज का कमर्शियल प्लाट नहीं चाहिये तो उसके बदले 600 गज रिहायशी प्लाट भी ले सकता है। ऐसा करने पर किसान को एक एकड़ के बदले अर्बन इस्टेट में 1600 गज रिहायशी प्लाट मिल जाएगा।
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